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सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

धुर ….आज चर्चा नहीं है जी …आज तो पर्चा है …जांचिए या बांचिए ..आपकी मर्जी …ब्लॉगर वसीयतनामा

 

 

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राज भाटिय़ा

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नन्हे-मुन्ने
 

छोटी छोटी बातें

पराया देश

मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay.

 

एक्स्पर्ट कमेंट :-इनको सबसे बडा शिकायत यही है कि इनको किसी से कोई शिकायत ही नहीं है । राज भाई जर्मनी वाले , हमेशा ही भारत की गलियों में मन भटकता रहता है , अपनेपन में बाय डिफ़ॉल्ट मोड में लगे रहते हैं हमेशा ही …..फ़िलहाल यही सोच रहे हैं कि यार पिछली बार तो दिल्ली में चौकी जमी थी अबके रोहतक में तो पूरा लमका चौका जमाएंगे………….तो आ रहे हैं न मिलने के लिए आप सब

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समीर लाल की उड़न तश्तरी... जबलपुर से कनाडा तक...सरर्रर्रर्र...

 

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उड़न तश्तरी ....

!! लाल और बवाल --- जुगलबन्दी !!
लाल और

 

एक्स्पर्ट कमेंट :-समीर लाल कनेडा वाले …इनका हरियरका बत्ती जले न जले मुदा कोई ट्रैफ़िक जाम इनका किसी भी ब्लॉग पर टीपने से नहीं रोक सकता …अरे आज तकले नहीं रोक पाया है जी ..देखे नहीं कईसे लिखे हैं ..जबलपुर से कनाडा तक सरर्रर्रर्रर्रर्र….। आजकल इनको ऊ है न थोबडापुस्तक ..अरे फ़ेसबुक भाई ..ऊ पर जौन मर्जी अपने साथे टैग कर देता ..बेचारे एतना टंगाए टंगाए घूमते हैं कि कह रहे थे कि रे भाई हमको भी अब लगता है कि तुम लोग ई सरर्रर्रर्रर्र ..फ़रर्रर्रर्रर्रर्र ..वाला एवरेजवा को गडबडा के रख दोगे । अभी चिंतामग्न दिख रहे थे ..अरे कुछ खास नहीं ..ई सोच रहे थे यार ऊ कौन था जिसके ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं दे पाए थे ….उसका मेलवा पर टीप भेजे कि नहीं ……

 

Dr.Divya Srivastava

 

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An iron lady !

 

एक्स्पर्ट कमेंट :-ह्म्म द आयरन लेडी ..विथ मशीन ब्रेन ..जेतना कमाल का टीप से ब्लॉगिंग में खाता खोलीं थीं ..उतना ही धायं ढिशुम पोस्ट आती है ..जब एक बार मैंने लिख दिया तो फ़िर लिखा दिया ….और जिसने पढ लिया ..मजाल है कि बिना बहस में कूदे निकल जाए । और हां ई मत समझिएगा कि आयरन लेडी हैं तो बाहर बाहर से देखेंगी सब कुछ ..एक दम दनादन रिप्लाई भी मिलेगा जी ..बहसियाते जाईये …आपको पते नहीं चलेगा कि कब इंडिया से न्यूजीलैंड तक का सफ़र तय कर लिया आपने .

Albela Khatri

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    मुक्तक दोहे चौपाई

    हास्य व्यंग्य

    भजन वन्दन

    स्वर्णिम गुजरात

    arz kiya hai

    आरोग्य एवं स्वास्थ्य

    लाया हूँ चन्द शे'र आपकी महफ़िल में

    एक्स्पर्ट कमेंट :-धडाधड ईनाम बंटा रहा है ..लप्प से लिखिए और झप्प से अलबेला सा ईनाम पाईये । अरे ई कौनो ऊ इनाम नहीं है जी कि , आप लिखिएगा फ़िर इनाम में आपको कौनो अजीब कंपनी का गिफ़्ट वाऊचर मिलेगा । ई तो अलबेला भाई का इंस्टैंट एटीएम ईनामी योजना है ..इधर अपना प्रविष्टि आप insert करिए ..दुसरका तरफ़ से ..एक दम टटका नोट पाईये ..हरियर हरियर ..लूटा जाए इनको …अरे जब ई खुदे बैठे हैं लुटने को तो …………

     

    बी एस पाबला

     

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      ज़िंदगी के मेले

       

      एक्स्पर्ट कमेंट :- हा हा हा …इनके लिए का कहें …और काहे कहें …कुछ कहें न कहें ..कोई न कोई कुछ न कुछ तो कहिए देता है …अरे राम नामें में पा बला लिखते हैं तो केतना देर तक बला सब को टला करते रहेंगे ..। अच्छा अच्छा क्या सोच रहे हैं आजकल ई बताएं …??? यार अब इस डोमेन शोमेन से मन भर गया है मेरा …सोच रहा हूं कि इस ..गूगल या ब्लॉगर को ही खरीद डालूं …….कहां गया उनका मेल पता …अभी खरीद डालता हूं …..अरे एक मिनट यार ..ओहो ये कौन आ गया ..अरे ये श्री सन्नाटा चौधरी जी का जन्मदिन भी है आज …..आपने पोस्ट नहीं लगाई ….आयं ये  किसने भेज दिया मेल यार ..देखूं तो सही …..

      ललित शर्मा

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      मेरे बारे में

      परिचय क्या दुं मैं तो अपना, नेह भरी जल की बदरी हुँ। किसी पथिक की प्यास बुझाने, कुँए पर बंधी हुई गगरी हुँ। मीत बनाने जग मे आया, मानवता का सजग प्रहरी हुँ। हर द्वार खुला जिसके घर का, सबका स्वागत करती नगरी हुँ।

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      तेताला

      नुक्कड़

      हमारा पर्यावरण

      एक लोहार की

      चिट्ठाकार-चर्चा

      चलती का नाम गाड़ी

      पिताजी

      सर्प संसार (World of Snakes)

      शिल्पकार के मुख से

      चर्चा पान की दुकान पर

      ब्लॉग 4 वार्ता

      ललितडॉटकॉम

      छत्तीसगढ़

      अड़हा के गोठ

      ललित वाणी

       

      एक्स्पर्ट कमेंट :- बाप रे बाप ……..ई तो इनके ब्लॉग सब का सूची थी ..तो ई तो बताने का जरूरत नहीं न है कि ..फ़ुल टाईम ..पार्टनर हैं ब्लॉगर बाबा के ..। उपर से केतना तो साईट सूट भी है ..अभी हाले में मुखमंत्री खुदे आ गए थे मिलने कि ..का हो शर्मा जी ,,..आज का नयका ले के आ रहे हैं । मुदा खुद सोच रहे हैं……अबे जब ये सब ऑलरेडी है ही …तो साला वो कौन सा क्रायटेरिया होता है यार …जब गांधी जी बुलाते हैं …अरे आश्रम वाश्रम में ..और कहां ????

       

      P.C. Rampuria (Mudgal)

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      अब अपने बारे में क्या कहूँ ? मूल रुप से हरियाणा का रहने वाला हूँ ! लेखन मेरा पेशा नही है ! थोडा बहुत गाँव की भाषा में सोच लेता हूँ , कुछ पुरानी और वर्त्तमान घटनाओं को अपने आतंरिक सोच की भाषा हरयाणवी में लिखने की कोशीश करता हूँ ! वैसे जिंदगी को हल्के फुल्के अंदाज मे लेने वालों से अच्छी पटती है | गम तो यो ही बहुत हैं | हंसो और हंसाओं , यही अपना ध्येय वाक्य है | हमारे यहाँ एक पान की दूकान पर तख्ती टंगी है , जिसे हम रोज देखते हैं ! उस पर लिखा है : कृपया यहाँ ज्ञान ना बांटे , यहाँ सभी ज्ञानी हैं ! बस इसे पढ़ कर हमें अपनी औकात याद आ जाती है ! और हम अपने पायजामे में ही रहते हैं ! एवं किसी को भी हमारा अमूल्य ज्ञान प्रदान नही करते हैं ! ब्लागिंग का मेरा उद्देश्य चंद उन जिंदा दिल लोगों से संवाद का एक तरीका है जिनकी याद मात्र से रोम रोम खुशी से भर जाता है ! और ऐसे लोगो की उपस्थिति मुझे ऐसी लगती है जैसे ईश्वर ही मेरे पास चल कर आ गया हो ! आप यहाँ आए , मेरे बारे में जानकारी ली ! इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ !

       

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      ताऊजी डॉट कॉम

      ताऊ डाट इन

      मग्गा बाबा का चिट्ठाश्रम

       

      एक्स्पर्ट कमेंट :- अरे इनका इंग्लिश नाम पर मत जाईये ..ई अपने ताऊ जी हैं जी । एक लंबर के प्रोफ़ेसन बिजनेस मैन …चलाकी देखिए इनका ….जब देखे कि सार ई ब्लॉगर तो कुछ कमा धमा के दे नहीं रहा है ..तो अपना कंपनी का तेल , साबुन , चूरन , चशमा , तौलिया , कंघा ….सब ठो का  advertisement कर डाले ..और चल निकला बिजनेस ….और सदाबहार प्रोडक्शन हाऊस तो हईये है ….। सोच का रहे हैं ..सोच रहे हैं कि अब जल्दीए ….पटाखा बम , रॉकेट का नयका बिजनेस भी लॉंच कर ही डालें …दीवाली का सीज़न है हिट तो होगा ही …….

       

      राजीव तनेजा

       

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      Don't Worry Be Happy

       

       

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      सुशील कुमार छौक्कर

      हँसते रहो

       

      तनेजा ही से पूछो

       

      हँसते रहो हँसाते रहो

       

      एक्स्पर्ट कमेंट :- आजकल एक छोटी स्टोरी लिखने की कोशिश कर रहा हूं …अरे नहीं यार इस तरह से नहीं ..एक्चुअली जो स्टोरी लिखी है उसे ही छोटा करने की कोशिश कर रहा हूं …..यार बडा मुश्किल काम है ये तो ….बताओ आधे घंटे में जो साढे तीन किलोमीटर की पोस्ट लिखी ..उसे छोटा करने में साढे तीन हफ़्ते से लगा हूं ….। सोच क्या रहे हैं …….ये सोच रहे हैं कि यार उस सॉफ़्टवेयर पर बहुत दिन हो गए हाथ साफ़ किए ..जिससे में जालिक खान को हसीना बानो बना देता हूं ….अरे कहां गया यार वो

      संगीता पुरी

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      पोस्‍ट-ग्रेज्‍युएट डिग्री ली है अर्थशास्‍त्र में .. पर सारा जीवन समर्पित कर दिया ज्‍योतिष को .. अपने बारे में कुछ खास नहीं बताने को अभी तक .. ज्योतिष का गम्भीर अध्ययन-मनन करके उसमे से वैज्ञानिक तथ्यों को निकलने में सफ़लता पाते रहना .. बस सकारात्‍मक सोंच रखती हूं .. सकारात्‍मक काम करती हूं .. हर जगह सकारात्‍मक सोंच देखना चाहती हूं .. आकाश को छूने के सपने हैं मेरे .. और उसे हकीकत में बदलने को प्रयासरत हूं .. सफलता का इंतजार है।

       

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      आज का राशि फल

      गत्‍यात्‍मक चिंतन

      गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष

      सीखें 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष'

      फलित ज्योतिष : सच या झूठ

      एक्स्पर्ट कमेंट :- ओह ये तारा तो कल कुछ ज्यादा चमक रहा था …आज ये पीला क्यों दिखाई दे रहा है ….अरे ये सूरज आज किस एंगल में टहल रहा है …रुको अभी देखती हूं कि दक्षिण अफ़्रीका में कहां हवा तेज़ चलेगी ?? बाप रे बाप संगीता जी …हमें अपने घर के पंखे की हवा का पता नहीं होता …और आप जाने क्या क्या मैथ जियोग्राफ़ी, फ़िजिक्स को घोंट के बता देती हैं सब कुछ जी । आजकल ….सोच रही हैं कि ….दीवाली में कहां कहां पर ठंड होगी या कहां नहीं होगी ..अभी इस छोटे वाले तारे को ज़ूम करके देखती हूं ……

      खुशदीप सहगल

       

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      बंदा 16 साल से कलम-कंप्यूटर तोड़ रहा है

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      slog over

      देशनामा

      blog over

      एक्स्पर्ट कमेंट :- मक्कन , मक्खानी ….और उनका सपुत्तर …गुल्ली …एकदम से अपना औजार पाती लेके ढूंढ रहा है …ई जीटिविया रिपोर्टर को ….कहते हैं कि बंदा सोलह साल से कलम कंप्यूटर तोड रहा है …..ओह सोलह साल की जालिम जवानी ..गोया अभी तो अल्हडपन के दिन हैं भाई ..और पूरा देशनामा रच डाला । अभी क्या सोच रहे हैं ….यार ये गुल्ली को लेकर एक ब्लॉग बना डालूं क्या गुल्लीनामा ..एक से एक धांसू ओवर डालूंगा ….सब के सब क्लीन बोल्ड…..

       

      शिवम् मिश्रा

       

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      ब्लॉग 4 वार्ता

      बुरा भला

      ब्लॉग संसद

      जागो सोने वालों...

      SATYAM NEWS MAINPURI

       

      एक्स्पर्ट कमेंट :- जागो सोने वालों जागो …और चुपचाप निकल के भागो …..आजकल शिव जी का तीसरा नेत्र खुला हुआ है ..ये मत समझना कि खाली वार्ता की मेज पर ही बैठे रहते हैं ….बेटा ..मैनपुरी के मैन हैं हम ….सब काम पूरी तरह से कर डालते हैं …..।आजकल का सोच रहे हैं …यार अब तो बस बहुत हो गया ..अब तो चाहे किसी को बुरा भला लगे या चटक मटक …हमने कह दिया तो कह दिया …समझे कि नहीं …

       

       

      अरे हां ..अभी तनिक किटकैट ब्रेक ले रहे हैं …मगर आप सब हमरे निशाने पर हैं ध्यान रखिएगा ….जानें कब ठांय हो जाएं

      शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

      कुछ पोस्टों की झलकियां ……झाजी की कटपिटिया इश्टाईल

       

       

       

      FRIDAY, OCTOBER 22, 2010

      पक्षियों का प्रवास-१

      पक्षियों का प्रवास-१

      IMG_0130मनोज कुमार

      imageपक्षियों की दुनियाँ वड़ी विचित्र है। पक्षी प्रकृति पदत्त सबसे सुन्दर जीवों की श्रेणी में आते हैं। इनसे मानव के साथ रिश्तों की जानकारी के उल्लेख प्राचीनतम ग्रंथों में भी मिलते हैं। किस्सा तोता मैना का तो आपने सुना ही होगा। इन किस्सों में आपने पाया होगा कि राजा के प्राण किसी तोते में बसते थे। फिर राम कथा के जटायु प्रसंग को कौन भुला सकता है। कबूतर द्वारा संदेशवाहक का काम भी लिया जाता रहा है। कहा जाता है कि मंडन मिश्र का तोता-मैना भी सस्वर वेदाच्चार करते थे। कई देवी देवताओं की सवारी पक्षी हुआ करते थे। सारांश यह कि पक्षियों का जीवन विविधताओं भरा अत्यंत ही रोचक होता है। पक्षियों के जीवन की सर्वाधिक आश्चर्यजनक घटना है उनका प्रवास। अंग्रेज़ी में इसे माइग्रेशन कहते हैं। शताब्दियों तक मनुष्य उनके इस रहष्य पर से पर्दा उठाने के लिए उलझा रहा। उत्सुकता एवं आश्चर्य से आंखें फाड़े आकाश में प्रवासी पक्षियों के समूह को बादलों की भांति उड़ते हुए देखता रहा। अनेको अनेक जीवों में प्रवास की घटना देखने को मिलती है, पर पक्षियों जैसी नहीं, जो इतनी दूर से एक देश से दूसरे देश में प्रवास कर जाते हैं। इस रहस्यमय यात्रा में पक्षी कहां जाते हैं इस कौतूहल को दूर करने के लिए मनुष्यों ने दूरबीन, रडार, टेलिस्कोप, वायुयान आदि का प्रयोग कर जानकारी एकत्र करना शुरु कर दिया।

       

      शुक्रवार, २२ अक्तूबर २०१०

      देखते हैं कब तलक तुम हमको झेले जाओगे-------->>>दीपक 'मशाल'

      देखते हैं कब तलक तुम हमको झेले जाओगे

      ना करें कि हाँ करें हम, तुम तो पेले जाओगे

      चीर उतरा द्रोपदी का आज कान्हा गुम रहा

      दांव खोकर भी सभी तुम, खेल खेले जाओगे

      ओए सुन लो फालतू इतना नहीं है माल ये

      एक चुटकी की जगह क्या मुठ्ठी भर ले जाओगे.

      हैं खड़े इक पांव पर, ये बस भरी है भीड़ से

      जो पाँव भी अपना नहीं क्या उसको ठेले जाओगे

      बाप की कजूंसियों का आज ये आलम हुआ

      दे चवन्नी पूछता है, तुम भी मेले जाओगे

       

       

      अंग्रेजी मईया की किरपा....

      इस बात में दो राय नहीं  कि हिंदी की दुर्दशा दिखाई देती है, कारण सिर्फ बाजारवाद नहीं, अंग्रेजी की चमक इतनी तेज़ है कि लोग उससे बच नहीं पाते...और हमारी सरकार भी छीछा-लेदर  करने से बाज़ नहीं आती, हिंदी के उत्थान की आवश्यकता, उतनी नहीं है जितनी उसे दिल से अपनाने की है, हिंदी आज शक़ के घेरे में है, हिंदी पर अब लोगों को विश्वास नहीं है,अपनी बात हिंदी में कहने में लोग कतराते हैं....उन्हें ये लगता है कि सामने वाले पर धौंस ज़माना हो, तो बात हिंदी में नहीं, अंग्रेजी में करो...और सच्चाई भी यही है...जो बात आप हिंदी में कहते हैं, वो कम असर करती, और जैसे ही आपने अंग्रेजी में बात करनी शुरू की, आपका स्तर सामने वाले की नज़र में एकदम से उछाल मारता है ...बेशक आपने अंग्रेजी की टांग ही तोड़ कर रख दी हो....ब्लॉग जगत में भी अंग्रेजी के वड्डे-वड्डे तीर चलते हुए देखा है, और लोगों को चारों खाने चित्त होते हुए भी...हाँ, तो हम बात कर रहे थे, इसी फार्मूले की...ये मेरा आजमाया हुआ फ़ॉर्मूला है...कसम से हम कहते हैं, एकदम सुपट काम करता है..

       

       

      FRIDAY, OCTOBER 22, 2010

      पिता की खाली कुर्सी...खुशदीप

      एक बेटी ने एक संत से आग्रह किया कि वो घर आकर उसके बीमार पिता से मिलें, प्रार्थना करें...बेटी ने ये भी बताया कि उसके बुजुर्ग पिता पलंग से उठ भी नहीं सकते...
      जब संत घर आए तो पिता पलंग पर दो तकियों पर सिर रखकर लेटे हुए थे...
      एक खाली कुर्सी पलंग के साथ पड़ी थी...संत ने सोचा कि शायद मेरे आने की वजह से ये कुर्सी यहां पहले से ही रख दी गई.



      स्लॉग चिंतन
      मैंने ऊपर वाले से पानी मांगा, उसने सागर दिया...
      मैंने एक फूल मांगा, उसने बागीचा दिया
      मैंने एक दोस्त मांगा, उसने आप सबको मुझे दिया...


      भगवान की इच्छा आपको वहां कभी नहीं ले जाएगी, जहां उसका आशीर्वाद आपका बचाव न कर सकता हो...

       

      औरत

      Buzz It

      KESAR KYARI........usha rathore..., Oct 21, 2010

      दुनिया की जन्मदाता हैं औरत
      हजारो वर्ष पुराने इतिहास की गाथा हैं औरत
      जिस पर खड़े है हम ,वो धरती माता हैं औरत
      अबला कहा जाता हैं ,वही चंडिका हैं औरत
      इस जग में दुखिया का नाम है औरत
      चारो धामो का धाम है औरत

      भारत के हर त्यौहार का नाम है औरत
      ममता का सागर है औरत

      बदले की आग का आसमाँ है औरत
      मोहब्बत का दरिया है औरत
      नफरत का सुलगता सरिया है औरत

      प्यार का घुमड़ता बादल है औरत
      क्षमा सा बरसता पानी है औरत
      मगर हमने इसकी कीमत ना जानी

      अजीब दास्ताँ है अजब कहानी
      फिर भी भगवान की महान रचना है औरत
      केसर क्यारी..उषा राठौड़

      बृहस्पतिवार, २१ अक्तूबर २०१०

      सपनों का घर , कमाल के नन्हें पौधे ...और होशियारपुर के बारे में कुछ रोचक बातें ...पंजाब यात्रा -२



      सुबह सुबह की हल्की ठंड में जब होशियारपुर बस अड्डे पर उतरा तो पौ नहीं फ़टी थी ..जैसा कि पहले ही सोच चुका था कि इस बार तो मैं हर पल को सहेजने की कोशिश जरूर करूंगा और देखिए न मेरी कोशिश का नतीजा आपके सामने है ......मैं वहां पहुंच तो चुका था मगर जाने क्या सोच कर सिर्फ़ चंद कदमों पर दूर साढू साहब के घर पर तुंरत जाने से बेहतर मुझे बस अड्डे के कोने पर बनी चाय की दुकान में सुबह की पहली चुस्की लेना बेहतर लगा । मैंने वहीं ठंडे पानी से हाथ मुंह धोया और बैठ कर चाय की चुस्कियां लेने लगा । सुबह सुबह की बस पकडने वाले , दिल्ली के लिए जो बसें निकलने वाली थीं ..उनमें दिल्ली दिल्ली की आवाज लगने लगी थी ।




       

       

      THURSDAY, OCTOBER 21, 2010

      ' लंगोटिया यार ! ' : हास्य-कविता

      एक थे लम्बूद्दीन 'लंब',
      हम कहते नहीं है दंभ,
      थे वो इस कदर लंबे,
      पाँव जैसे खंबे !
      हाथ जैसे कानून,
      ये लंबे, ये ssss लंबे !
      एक थे मोटूराम  'मोटी',
      हम देतें नहीं गोटी,
      तोंद उनके ये मोटी,
      ये ssss भयंकर  मोटी,
      की  साक्षात 'मोटा' शब्द,
      उनके समक्ष  लगता था दुबला !
      हर तबीयत, हर तंदरुस्ती,
      उनके सामने थी खोटी !

       

      Friday 22 October 2010

      हर किसी को "और" चाहिए......... यह दिल मांगे मोर .

      आज अगर हम चारो ओर देखें तो कोई भी अपनी जिंदगी से संतुष्ट दिखाई ही नहीं देगा. हमारे पास जो है वह कम ही मालूम पड़ता है. हर किसी को  "और" चाहिए......... यह दिल मांगे मोर .

      चाहे किसी प्राप्य को प्राप्त करने कि मेरी औकात नहीं होगी तो भी बस मैं उसके लिए छटपटाता रहूँगा, बस एक धुन सवार हो जाएगी कि बस कैसे भी हो मुझे यह हासिल करना है.
      अरे भाई हासिल करना है, तक तो ठीक है पर यह लोभ इतना भयंकर हो जाता है कि फिर ना किसी मर्यादा कि परवाह.........  जाये चाहे सारे कानून-कायदे भाड़ में.
      और आज चारों तरफ देख लीजिये कि जो मर्यादाओं को तार -  तार किये दें रहें है उन्ही की यश-गाथाएं गाई जाती है. हम सब इस लोभ के मोह में वशीभूत हुए वहशीपन कि हद तक गिर चुके है. किसी भी नैतिक प्रतिमान को तोड़ने में हमें कोई हिचक नहीं होती.
        या फिर आप खड़े रहिये नैतिकता का झुनझुना लिए, कोई आपके पास फटकेगा भी नहीं. 
      ना तो कर्म-अकर्म कि भावना रही ना उनके परिणामों कि चिंता. और चिंता होगी भी क्यों हमारे सारे सिद्धांतो को तो हम तृष्णा के पीछे भागते कभी के बिसरा चुके हैं.  अहंकार आदि सभी तरीके के नशों को दूर करने वाले धर्म को ही अफीम कि गोली मानकर कामनाओं कि नदी में प्रवाहित कर चुकें है.

       

      अमिताभ बच्‍चन राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार समारोह की रिहर्सल में

      >> शुक्रवार, २२ अक्तूबर २०१०

      पिछले दिनों खूब सारी व्‍यस्‍तता के बीच कल शाम को विज्ञान भवन सभागार में अमिताभ बच्‍चन जी से मुलाकात हुई तो सारी थकान कानों के रास्‍ते बाहर निकल गई। उन्‍होंने विज्ञान भवन सभागार में जब प्रवेश किया तो सीमित प्रवेश के बावजूद उनके प्रशंसकों की भीड़ लग गई। सब ही उनसे मिलने को आतुर। मैं भी उनमें से एक। वे  पुरस्‍कार विजेता ब्‍लॉक के एक कोने पर और दूसरे कोने पर मैं। बीच में अधिकतम 5 फीट का फासला।
      अमिताभ भाई से मिलना सदैव एक रोमांचक अनुभव होता है। उनसे अब तक कई बार अनेक नेक अवसरों पर मुलाकात हो चुकी है। पर उनसे जाने कितने हजारों लोग रोजाना मिलते हैं ।

       

      FRIDAY, OCTOBER 22, 2010

      चाँद और मैं …

      रश्मि प्रभा

      ये अनकही बातें बोलती हैं,मैंने इनको सुना है,समुद्र की लहरों सी होती हैं,शाख से कोई पत्ता गिरे ,ऐसा लगता है,ये अनकही बातें ,दिल की गहराई तक दस्तक देती हैं.......तुम इनको अनसुना नहीं कर सकते,ये दस्तक देती रहती है,मन की सांकलों को खोलो,सुनो.......अनकही बातें बोलती हैं!

       

      10/22/10

      जाना था जापान पहुंच गए चीन


      जाना था जापान पहुंच गए चीन वाह भई वाह... साला ये जहाज ना हुआ टेम्पो हो गया. अभी तक ये तो देखा और सुना था कि गलत ट्रेन में बैठ कर कोलकात्ता के बजाय मुंबई पहुंच गए. बनारस में था तो एक दोस्त लाला को लखनऊ के लिए वरुणा पकडऩी थी. लाला चार बजे उनीदा सा उठा. उसे किसी तरह रिक्शा करवाया और मैं सो गया. एक घंटे बाद दरवाजा खटका तो देखा लाला लुंगी लपेटे अटैची लिए खड़ा है. क्या बे लाला, ट्रेन छूट गई क्या? नहीं यार नीद मैं वरुणा के बजाय बक्सर वाली पैसेंजर में बैठ गया था. मुगलसराय से आ रहा हूं्. गलत बस भी लोग पकड़ लेते हैं और टेम्पो सवारियां तो रोज ही रूट को लेकर झिक झिक करती हैं. बस या रेल से आप रास्ते में उतर सकते हैं लेकिन हवाई लहाज से कैसे कूदेंगे. शुक्रवार को तो लखनऊ के अमौसी एअरपोर्ट पर गजबै हो गया. गो एअर के जहाज में पटना के बजाय दिल्ली के यात्रियों को बैठा दिया गया. जब पटना में लैडिंग हुई तो यात्री चकराए कि गुरू ये तो दिल्ली नहीं है. फिर शुरू हुआ हंगामा. सडक़ और रेल पर होते तो स्टेशन और कस्बा पहचान का हल्ला मचाते. अब हवा में कैसे पहचाने के ये पटना वाला रूट है या दिल्ली वाला. और अगर पता भी लग गया कि गलत बैठ गए हैं तो पायलट से भी नहीं कह सकते कि ..अबे उधर कहां ले जा रहा है. और जबरिया रास्ते में उतर भी तो नहीं सकते. धन्य है गो एअर और धन्य हैं यात्री.

       

      Friday, October 22, 2010

      ये चीन की तरक्की की असली कहानी है

      चीन में इस महिला के 8 महीने बच्चे की हत्या कर दी गई

      इस तरह की कहानी चीन से निकलकर कम ही आती है। लेकिन, इसे पूरी दुनिया को जानना बेहद जरूरी है। चीन की तरक्की की कहानी दुनिया अकसर कहती रहती है। लेकिन, ये किस कीमत पर मिल रही है ये कभी-कभी ही चर्चा में आता है। कभी-कभी भारत में भी हम लोग ये कहकर कि चीन जैसी तरक्की हो तो, तानाशाही में भी क्या दिक्कत है। हम तरक्की तो कर लेंगे। लेकिन, इस तरह की चीनी तरक्की के फॉर्मूले को समझकर शायद हममें से जो, लोग चीन की तरह बनने-बनाने का सपना देख रहे हैं वो, थोड़ा दूसरा सपना देखना शुरू कर दें।

       

      Friday, October 22, 2010

      जुगाड़ से बनाये पेन रकने का डिब्बा


      क्या चहिये:- सिम कार्ड निकालने के  बाद बचे 5 कार्ड,चिपकाने के लिये टेप ,कैंची|

      क्या करे:-4 कार्डो को चित्रानुसार जोड़ ले|

       

      बीबीसी ब्लॉग्स से देखिए आज ब्रजेश उपाध्याय की ये पोस्ट

      बिहारी होने के नाते

      ब्रजेश उपाध्याय ब्रजेश उपाध्याय | सोमवार, 18 अक्तूबर 2010, 04:43 IST

      बारह-तेरह साल पहले जानेमाने लेखक और पत्रकार अरविंद एन दास ने लिखा था, 'बिहार विल राइज़ फ़्रॉम इट्स ऐशेज़' यानी बिहार अपनी राख में से उठ खड़ा होगा.

      एक बिहारी की नज़र से उसे पढ़ें तो वो एक भविष्यवाणी नहीं एक प्रार्थना थी.

      लेकिन उनकी मृत्यु के चार सालों के बाद यानी 2004 में बिहार गया तो यही लगा मानो वहां किसी बदलाव की उम्मीद तक करने की इजाज़त दूर-दूर तक नहीं थी.

      मैं 2004 के बिहार की तुलना सम्राट अशोक और शेरशाह सूरी के बिछाए राजमार्गों के लिए मशहूर बिहार से या कभी शिक्षा और संस्कृति की धरोहर के रूप में विख्यात बिहार से नहीं कर रहा था.

      पटना से सहरसा की यात्रा के दौरान मैं तो ये नहीं समझ पा रहा था कि सड़क कहां हैं और खेत कहां.

      सरकारी अस्पताल में गया तो ज़्यादातर बिस्तर खाली थे, इसलिए नहीं कि लोग स्वस्थ हैं बल्कि इसलिए कि जिसके पास ज़रा भी कुव्वत थी वो निजी डॉक्टरों के पास जा रहे थे.

       

      मेरे मन की मौज !... अब तुमको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूँ ?


      .
      .
      .
      मेरे 'मनमौजी' मित्रों,
      आज का यह संवाद उनके लिये है जिन्हें कुछ ज्यादा ही जोर की मिर्ची लगी है शायद...
      न जाने क्यों आज एक गीत, और वह भी गोविंदा द्वारा अभिनीत कुछ बदलाव कर गुनगुनाने का मन कर रहा है...
      गाना कुछ इस तरह का है...
      " मैं तो भेल पूरी खा रहा था...
      बाजा बजा रहा था...

       

      बृहस्पतिवार, २१ अक्तूबर २०१०

      नंबर एक

      मैने कहा तू कौन है
      कहने लगा बकवास जी
      मैने कहा करता है क्या
      उसने कहा तीन-पांच जी
      मैने कहा चाहता है क्या
      उसने कहा दस्सी-पंजी
      मैने कहा चलते नही
      उसने कहा हमसे क्या जी
      मैंने कहा उस्तादी क्यों
      बोला मेरी फितरत है जी

       

      21 October, 2010

      वर्धा ब्लॉगर गोष्ठी एवं कार्यशाला का पोस्टमार्टम -4

      इस बार बात की जाये मुम्बई की अनीता कुमार की लिखी दो पोस्तों की। उन्होने साफ लिख दिया कि

      इससे पता चलता है कि आमंत्रण निमंत्रण भेजा गया था,जिसे सभी सज्जन झूठा बताते हुये कह रहे हैं कि ये तो ओपन सम्मेलन था। किसी को बुलाया नहीं गया था।
      लेकिन यह बात कौन बतायेगा कि जब वर्धा का विश्वविद्यालय कहता है कि

       

      FRIDAY, OCTOBER 22, 2010

      चलो किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए ...

       

      THURSDAY 21 OCTOBER 2010

      उच्च रक्तचाप

      आधुनिक जीवनशैली आहिस्ते से कब हमें कई गंभीर व घातक बीमारियों का शिकार बना देती है, पता ही नहीं चलता। ऐसी ही एक प्राणघातक बीमारी है ‘हाई ब्लड प्रेशर’, जिसे ‘साइलेंट किलर’ भी कहते हैं। जानकारी के अभाव में हम न तो समय पर इसकी जांच करा पाते हैं और न ही इलाज। परिणामस्वरूप हमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेल्योर, गुर्दे की बीमारी, दृष्टि संबंधी दोष और पैरों में रक्त प्रवाह रुकने जैसी समस्याएं आ घेरती हैं। समय पर जांचः नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर (डॉ़) कामेश्वर प्रसाद के अनुसार यूं तो हमारे देश में 25साल से अधिक उम्र के लोगों को साल में एक बार बीपी चेक करवाने की सलाह दी जाती है,लेकिन आज की जीवनशैली को ध्यान में रखते हुए बेहतर होगा कि 18 की उम्र से ही लोग इसकी जांच करवाना शुरू कर दें। इसके अलावा, यदि आपकी उम्र 25 से ज्यादा है तो साल में दो बार, 35 से ज्यादा है तो तीन बार, 45 से ज्यादा है तो चार बार और 55 से ज्यादा है तो पांच बार बीपी की जांच करवाएं। यदि आप 65साल से अधिक उम्र के हैं तो जब भी अस्पताल जाएं या डॉक्टर से मिलें, यह जांच अवश्य करा लें।

       

      शुक्रवार, २२ अक्तूबर २०१०

      रिश्ते में तो हम हिन्दी के बेटे हैं और नाम है माणिक मृगेश

      आइये मित्रो !
      आज मैं आपको मिलवाता हूँ एक ऐसे महान हिन्दी सेवक से
      जिनकी पूरी की पूरी जीवनचर्या अपने दैनंदिन रिदम के साथ
      लगातार हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने में
      जुटी है ।
      अनेकानेक सम्मान और पुरस्कार प्राप्त यह हस्ती पिछले दिनों
      एक और बड़े सम्मान से सम्मानित हुई । आइये अपनी बधाइयों
      और मंगल कामनाओं के साथ मिलें इण्डियन आयल में सतत
      सेवारत, बड़ौदा निवासी एक ज़बरदस्त कलमकार डॉ माणिक
      मृगेश जी से.........................
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      राशि लग्नानुसार शनि की लघु कल्याणी अढैया और साढे साती विचार : आसमानी बाबा

       

      कुछ भक्तजनों द्वारा आसमान में हमको अनगिनत संदेश भेजे गये. और बताया गया कि आजकल ब्लागाव्रत मे घोर अव्यस्था फ़ैली हुई है. एक अखण्ड ब्लागाव्रत की अवधारणा को कुछ तुच्छ मानसिकता वाले स्वयं भू क्षत्रपों ने खंडित कर दिया है. फ़लस्वरूप छोटे छोटे मोहल्ले जैसे ग्रूप बन गये हैं. आज तक एक क्षत्रप को छोडकर कोई भी सौ गांवो (टिप्पणियों) से ज्यादा का जमींदार नही बन पाया . बाकी सब दस बीस ज्यादा से ज्यादा पच्चीस गांव के छोटे मोटे जमींदार ही रह गये हैं. एवम अन्य सब दो पांच गांव के लोगों ने भी अपने आपको स्वतंत्र घोषित कर दिया है.

      जगत कल्याणकारी सिद्ध ताऊ आसमानी बाबा

      हमने तो कभी का यह धरा धाम छोड कर आसमान में रहने का फ़ैसला कर लिया था पर आप सबको इस हाल में देखकर वापस पृथ्वी पर प्रकटे हैं, ज्योतिष का परम ज्ञान देने के लिये. आज उपरोक्त स्थितियों के मद्देनजर कुछ चालू टाईप के लोग अपना साम्राज्य बढाने के लिये उल्टी सीधी सलाह देकर बहुत नाजायज फ़ायदा उठा रहे हैं और ब्लागाव्रत में यह जो क्लेश और वैमनस्य का राज्य भी सब उन्हीं की कृपा का फ़ल है. अत: आप सबसे निवेदन है कि आप उनके जाल में ना फ़से और हमारी ज्योतिषिय सेवाओं से लाभ उठायें.

       

      Oct 21, 2010

      नापचबना

      सफर में हो?...
      सफर में हो? कहाँ हो?  और कैसे?  यार बाजीमार,
      तनिक फुर्सत तो आओ, बैठ लें, हो बात दो से चार.
      अमां हो किस जहां?  वैसे ही क्या  धुनधार करते हो?
      सरचढ़ी गड़बड़ी,  धड़  फक्कड़ी   लठमार करते हो?
      मजलिस है मियाँ वैसी, कि बैठक है अलग इस बार?
      सुनते हो   किसी  की,  या खुदी  दरकार करते  हो?
      नुक्ता मत पकड़ना, गलतियां तो, और भी भरमार,
      बढ़ती जा रहीं  जस  उम्र,  तस  सर  बाल चांदी तार.

       

       

      हमको लगता है कि आज के लिए एतना कटपिटिया बहुत होगा ..आप लोग निहारिए ..और हां सिर्फ़ ये झांक कर न जाएं कि कौन कौन सी पोस्ट है ..जिस पर मन करे क्लिक करें और पढें ….आपको पसंद आएंगी नि:संदेह

      गुरुवार, 14 अक्तूबर 2010

      दो बूंद जिदगी के झाजी पिला रहे हैं , घर से बाहर हैं फ़िर भी पोस्टिया रहे हैं ......




      जैसा कि आप सबको बताया था कि आज ही पारिवारिक कार्यक्रम के तहत जालंधर , होशियारपुर पहुंचा हूं और कल से अमृतसर स्वर्ण मंदिर , जालियांवाला बाग की तैयारी है ..मगर वो ब्लॉगर ही क्या जो ..मेहमान होने के बावजूद भी ..मेजबान के घर से एक पोस्ट न ठेल दे । आज समय कम है इसलिए ..फ़िलहाल पीजीए ..दो बूंद जिंदगी के

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      लाल शर्ट ....पीली निक्कर

      एक जहाज का कैप्टन अपने जहाज पर घूम रहा था , तभी उसकी जहाज का एक नाविक सेनानी दौडता हुआ आया कहा ," सर दुश्मन देश का जहाज आ रहा है "

      कैप्टन "जाओ मेरी लाल रंग की शर्ट ले कर आओ जल्दी "

      कुछ देर में सेनानी व शर्ट पहन लेता है । दुशमनों के साथ टकराव में भारी गोलियां चलती हैं । लडाई खत्म होने के बाद सेनानी पूछता है , सर आपकी लाल शर्ट पहनने का मतलब ?

      कैप्टन ..देखो मैं नहीं चाहता था कि यदि लडाई के दौरान मुझे गोली लगने से निकले खून को देख कर सेना का मनोबल गिरे इसलिए ......

      तभी दौडता हुआ दूसरा सेनानी आया ....सर दुशमन की एक बहुत बडी पलटन और लगभग पूरी नौसेना ही इस तरफ़ आ रही है .....

      कैप्टन , थोडी देर सोचने के बाद ," अरे देखते क्या हो इस बार मेरी पीली निक्कर ले कर आओ जल्दी "

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      तेरी मां को बताती हूं

      लडका :- सुनिए क्या आप अपनी डेयरी मिल्क का एक बाईट मुझे देंगी ..

      लडकी :-क्या मैं आपको जानती हूं

      लडका :- नहीं , लेकिन मेरी मां कहती है कोई भी शुभ काम करने से पहले कुछ मीठा खाना चाहिए

      लडकी उसे एक बाईट देते हुए पूछती है , " वैसे कौन सा शुभकाम करने जा रहे है आप ?

      लडका : सोच रहा हूं , आपको घर छोड दूं......



      लडकी ......कुछ देर बाद , " ये पहले पकड सौ का नोट और जाकर बाल कटवाओ डूड ...बस स्टॉप पे खुद खडा है और मुझे छोडने की बात कर रहा है , अभी तेरी मूंछे आई नहीं है ठीक से और चला है मुझे छोडने के लिए , पटाने के लिए , एक टुकडा दे दिया तो सर पे चढ गया है ..ऐसा कर तू मुझे अपने घर ही ले चल , तेरी मां को बताती हूं कि कितने शुभ काम करता रहता है तू ..?

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      सरकार जिसके पांच बच्चों होंगे उसे घर देगी ।

      लपटन जी के तीन थे , उन्होंने फ़ौरन ही अपनी बहुरिया ....झोरहटनिया से कहा , " पडोस के दो भी मेरे ही हैं , मैं ले आता हूं ।

      लपटन जी दौड के दो बच्चे ले आए, और झोरहटनिया से कहा , लो ये रहे दोनों , वो तीनों कहां हैं

      झोरहटनिया , " उन्हें तो वे ले गए जिनके वे थे "

      ____________________________________________________________________समझ

      समझ तो तू गया ही होगा

      एक लाला जी जिस रास्ते से गुजरते थे उस रास्ते पर एक पोपट जी महाराज अपनी भविष्य बताने की दुकान लगाए रहते थे , पोपट तोता जैसे ही लाला जी को देखता , उन्हें जी भर के गालियां निकालता ..हरामी , कमीने ..तेरी.........। लाला जी ने गौर किया तो पाया कि वो पोपट सिर्फ़ उन्हें गाली देता था । लाला जी ने पोपट महाराज से इसकी शिकायत कर दी , पोपट महाराज ने लाला जी कहा मैं समझा दूंगा अब नहीं बकेगा ।

      अगले दिन वो लाला जी फ़िर वहीं से गुजरे , देखा तो तोता कुछ भी नहीं बोला , वे बडे प्रसन्न हुए ..थोडा आगे बढकर , मुड कर पोपट की तरफ़ देखा तो पोपट बोला , "
      हें हें हें .....अबे समझ तओ तू गया ही होगा कि ..........""

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      पत्नी पति का प्यार

      पत्नी : पिछली बार मेरे जन्मदिन पर आपने कितना खूबसूरत लोहे का बडा पलंग दिया था ...इस बार क्या दे रहो हो ??

      पति : सोच रहा हूं कि इस बार उसमें करंट छोड दूं

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      एक वयक्ति की पत्नी का अपहरण हो गया , एक दिन बाद एक डब्बा उसके घर पर आया , उसमे से एक कटी हुई उंगली निकली । थोडी देर बाद फ़ोन आया ,"
      देख लिया न सबूत "

      नहीं मुझे और सबूत चाहिए , मुंडी काट कर भेज दो

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      डॉ. पति से :-आपकी पत्नी अब सिर्फ़ पांच मिनट की मेहमान हैं

      पति मायूसी से , " कोई बात नहीं डॉ साहब जब पच्चीस साल निकल गए तो पांच मिनट भी निकल ही जाएंगे

      ________________________________________________________________
      पत्नी सुबह सुबह गुस्से में , कल तु मुझे नींद में गालियां बक रहे थे

      पति : नहीं नहीं तुम्हें गलतफ़हमी हुई है ?

      पत्नी : कैसी गलतफ़हमी ?

      पति : यही कि मैं उस समय नींद में था ।

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      होनहार विद्यार्थी

      विद्यार्थी :- हम कभी पढ न सके , क्योंकि पढाई सिर्फ़ दो वजह से होती है , एक शौक से दूसरा डर से ।

      फ़ालतू के शौक हम पालते नहीं , और डरते तो किसी के बाप से नहीं ॥

      _________________________________________________________________

      स्वादिष्ट

      आदिवासी क्षेत्र में एक नए शिक्षक साहब की नियुक्ति हुई ।

      स्कूल के पहले दिन ही मा स्साब ने बच्चों से पूछा " बच्चों पिछले मा स्साब कैसे थे ?

      सभी बच्चों ने एक साथ जवाब दिया , " स्वादिष्ट थे "


      -------------------------------------------------
      मास्टरजी , विद्यार्थी से " कोई रोमांटिक शेर सुनाओ ॥


      विद्यार्थी :-

      मोटा मरती मोटी पे ,
      भूखा मरता रोटी पे ,
      मास्टर जी की दो बेटियां ,
      मैं तो मरता छोटी पे ..॥


      बस आज लिए ......दो बूंद जिंदगी के .....हायं ...टीपना जरूर सनम ...चाहे टाईम कितना हो कम ......ओह ये कुछ कुछ एड टाईप का हो गया ....


      सोमवार, 11 अक्तूबर 2010

      कंट्रोल सी + कंट्रोल वी …फ़िर ले के आए झाजी …..जस्ट झाजी स्टाईल ..चर्चा नहीं ..पोस्ट झलकियां ..

      सबसे पहले देखते हैं कि बीबीसी ब्लॉग्स पर इन दिनों कौन क्या लिख रहा है आप भी देखिए

      ये अंदाज़े गुफ़्तगू क्या है?

      विनोद वर्मा विनोद वर्मा | शुक्रवार, 08 अक्तूबर 2010, 15:22 IST

      न्यूज़ीलैंड के स्टार टीवी एंकर पॉल हैनरी ने जो कुछ किया उससे आप चकित हैं? मैं नहीं हूँ.

      दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के ख़िलाफ़ जिस तरह के शब्दों का प्रयोग उन्होंने किया वह असभ्य, अभद्र और असंवेदनशील है.

      इसे सुनने-देखने के बाद मैं भी अपमानित महसूस कर रहा हूँ. नाराज़ भी हूँ. लेकिन चकित मैं बिल्कुल भी नहीं हूँ.

      चकित इसलिए नहीं हूँ क्योंकि यह एक व्यक्ति की ग़लती भर नहीं है. यह एक मानसिकता का सवाल है. जिसके दबाव में पॉल हैनरी शीला दीक्षित की खिल्ली उड़ाते हैं. इस मानसिकता से हज़ारों भारतीय हर दिन पश्चिमी देशों और अमरीका में रुबरू होते हैं.

      यह मानसिकता पूंजीवादी और सामंतवादी मानसिकता है.

      अब देखिए कि नवभारत टाईम्स ब्लॉग्स मंच पर आज कौन अपनी ताजी पोस्ट के साथ हाज़िर हैं …

      दिल में है दिल्ली

      गेम्स के बहाने सड़कों पर अनुशासन

      दिलबर गोठी Monday October 11, 2010

      'बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का'...सचमुच कॉमनवेल्थ गेम्स को लेकर दिल्ली की सड़कों की कल्पना करके दिल की धड़कनें बढ़ जाती थीं। सड़कें चलने लायक नहीं रहेंगी, हर तरफ जाम रहेगा, डेडिकेटेड गेम्स लेन से मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा - इन सब बातों ने वाकई दिल्ली को बहुत डरा दिया था। यह भी माना जा सकता है कि इतना डरा दिया जाए कि लोग अपनी गाड़ियों को गैराज के भीतर ही रखें या रात 8 बजने के बाद भी लेन में जाने से डरें। मेट्रो पर बोझ बढ़ गया और धक्का-मुक्की में इजाफा हुआ लेकिन सड़कों का हाल देखकर दिल बाग-बाग हो रहा है। अस्पताल में एक रिश्तेदार को देखने आए मित्र ने बताया कि साउथ दिल्ली से सेंट स्टीफंस महज 20 मिनट में पहुंच गया हूं तो आनंद विहार से तिलक नगर जाना सिर्फ 40 मिनट में संभव हो गया। गेम्स के दौरान सड़कों पर 20 साल पहले के खुलेपन का अहसास होने लगा।

      आज रात नौ बजे मैं आपका इं
      तज़ार करूंगा ...हायं ...देखिए अमित जी मैं ज्यादा देर नहीं रुकूंगा ..झा जी बुलेटिन ...धू.. मर्दे ..नहीं पढे तो क्या पढे ?




      खबर :आज रात नौ बजे मैं आपका इंतजार करूंगा : अमिताभ बच्चन


      नज़र :- सर जी . आज रात को .....देखिए ओईसे तो अब हम किसी के जन्मदिन के पाल्टी उलटी में शरीक नहीं होते हैं ..का करें जी ..कामे इतना होता है कि ..कहा का जाए ...मगर अब आपका बात भी तो नहीं टाल सकते न ....काहे से आज तो आप बर्थडे बॉय हैं ....तो आज तो मानना ही पडेगा ...फ़िर आप रिटर्न गिफ़्ट भी तो बडा ही भारी भरकम रखे हैं ...ऊ का कहते हैं आप ...एक अरब दस करोड भारतीय ...कौन बनेगा करोड पति ....पूछिए मत एतना गुदगुदी होता है .....अरे ई सोच के नहीं कि करोड पति बन जाएंगे ..बल्कि ई सोच के कि दुनिया का एतना आबादी तो अपने ही देश में है ...तो फ़िर ई महाप्रलय किसी दूसरा देश का लोग कैसे ला सकता है ,.....अच्छा सुनिए न ..आ तो हम जईबे करेंगे ....मुदा तनिक फ़्री जल्दी कर दीजीएगा ....और हां ऊ ..नि:शब्द वाली हीरोईनी को बुलाए हैं न .....बंकिया तो आपकी जो भी हीरोईन साथिन होगी ...ऊ सबको तो हमको मौसी प्रणामे कह के आना पडेगा .....चलिए आते हैं ....तब तकले आपको ..जन्मदिन का बहुते बहुते मुबारकबाद जी ...काहे से कि रिशते में तो आप सबके बाप होते हैं ...नाम है ..शहंशाह ..... हायं ..।


      आज प्रवीण जाखड, पंकज सुबीर, राजीव जैन का जनमदिन है

      >> सोमवार, ११ अक्तूबर २०१०


      आज, 11 अक्टूबर को

      का जनमदिन है।

      अमित शर्मा जी परिचय करा रहे हैं आज देखिए किनसे

      सूरज, चंदा, तारे, दीपक, जुगनू तक से ले रश्मि-रेख

      आज आप सभी का ब्लॉग-जगत की नई रौशनी की किरण या यूँ कह लीजिये की रश्मि रेख से परिचय करवाने की मंशा है, जिसका आमंत्रण ब्लॉग खुद देता है ..................

      "गुलजार चमन को करने को, आओ मिल कर लायें बहार

      सूखे मरुथल हित, बादल से, मांगें थोड़ी शीतल फुहार

      सूरज, चंदा, तारे, दीपक, जुगनू तक से ले रश्मि-रेख ;

      जीवन में कुछ उजास भर लें, मेटें कुछ मन का अंधकार ।।"

      - अरुण मिश्र


      ज्यादा कुछ नहीं कहूँगा इस ब्लॉग और इन ब्लोगर के बारे में. बस ब्लॉग का रस-पान ब्लॉग पर ही आकर कीजिये, बस आपके चखने के लिए कुछ बूंदे यहाँ रख देता हूँ >>>>>

      हमेशा इन्तज़ार में तेरे मगर ऐ दोस्त,
      रहेंगी आंखें बिछी और खुली हुई बाहें॥"

      >>>>>>>>>>>>>>>>>>


      केबीसी ने मेरी जिंदगी को नया मोड़ दि‍या : अमि‍ताभ

      केबीसी ने मेरी जिंदगी को नया मोड़ दि‍या : अमि‍ताभ

      मुंबई, 9 जुलाई

      आर यू श्‍योर, कॉन्‍फि‍डेंट, लॉक कर दि‍या जाये। इन तीन जुमलों ने अमि‍ताभ बच्‍चन और केबीसी को टेलीवि‍जन जगत के सबसे बड़े गेम शो के तौर पर स्‍थापि‍त कर दि‍या। अमि‍ताभ के डूबते करि‍यर को इस शो ने सहारा दि‍या और अमि‍ताभ के अंदाज ने स्‍टार प्‍लस को टेलीवि‍जन की टीआरपी की शि‍खर पर पहुंचा दि‍या। इस शो को अमि‍ताभ के अलावा शाहरुख खान ने भी होस्‍ट कि‍या, लेकि‍न वो अमि‍ताभ सरीखा जादू नहीं बि‍खेर सके। अब अमि‍ताभ केबीसी फोर लेकर आ रहे हैं। इस बार इस कार्यक्रम का प्रसारण सोनी पर होगा।

      इस बार आप नए चैनल पर केबीसी की मेजबानी करेंगे। तीसरी बार आपके इस कार्यकम से जुड़ने की क्या वजह रही?

      इस बार केबीसी के अधिकार सोनी के पास थे और उन्होंने मुझसे संपर्क किया। इससे जुड़े शोध और प्रस्तावित बदलावों के बारे में उन लोगों ने मुझे बताया। इसके बाद मैं इससे जुड़ने पर सहमत हो गया।

      SATURDAY, OCTOBER 9, 2010

      आँसुओं के लिये खेद?

      मेरी एक सहेली अपने जीवन में एक बड़ा परिवर्तन कर रही थी - ५० वर्ष से जिसके लिये वह कार्य करती रही, उसे छोड़कर अब वह एक नए काम के लिये जा रही थी। अपने सहकर्मियों से विदा लेते समय वह रोती भी जा रही थी और अपने आँसुओं के लिये क्षमा भी मांगती जा रही थी।
      अपने आँसुओं के लिये हम कभी कभी खेदित क्यों होते हैं? शायद हम आँसुओं को कमज़ोरी की निशानी और हमारे चरित्र में किसी बात के लिये असहाय होने का सूचक मानते हैं और अपनी कमज़ोरी को लोगों के सामने लाना नहीं चाहते। या, हो सकता हो कि हमें लगता है कि हमारे आँसु दूसरों को दुखी कर रहे हैं इसलिये हम उनसे क्षमा मांगते हैं।
      हमें स्मरण रखना चाहिये कि हमारी भावनाएं हमें परमेश्वर द्वारा दी गई हैं, हम उसके स्वरूप में सृजे गए हैं (उत्पत्ति १:२७)। परमेश्वर भी खेदित होता है, दुखी होता है - उत्पत्ति ६:६, ७ में बताया है कि वह अपने लोगों के पापों और उनके कारण जो उसमें और लोगों में विच्छेद आया, उससे वह दुखी और क्रोधित हुआ। देहधारी परमेश्वर, प्रभु यीशु, अपने मित्रों मरियम और मार्था के साथ उनके भाई लाज़र की मृत्यु पर शोकित हुआ, उसकी आत्मा दुखी हुई और इस दुख में वह सबके सामने रोया भी (यूहन्ना ११:२८-४४), किंतु अपने दुख के खुले प्रगटिकरण के लिये उसने किसी से क्षमा नहीं मांगी।

      शनिवार, २ अक्तूबर २०१०

      इंसानियत गढ़ती है स्त्री...........!

      इंसानियत गढ़ती है स्त्री...........ये शब्द हैं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के , जिनके विचार हर दौर में प्रासंगिक थे पर आज असमानता और हिंसा भरे समाज में कुछ ज्यादा ही प्रासंगिक प्रतीत हो रहे हैं। आज के दिन उन्हें नमन करते हुए उनके सद्विचारों की बात....

      गांधीजी हमेशा से ही सर्वोदय यानि समग्र विकास की सोच को लेकर आगे बढे, जिसमें पूरे समाज की उन्न्ति की बात की गई। बापू का मानना था कि ‘ महिला और पुरूष के बीच कोई भेद नहीं समझा जाना चाहिए, वे सिर्फ शारीरिक तौर पर एक दूसरे से भिन्न हैं। ’ गौरतलब है कि आज भी हमारे समाज में महिलाएं कई तरह के भेदभाव का शिकार होती है। ऐसे में उनकी यह प्रेरक विचारधारा पूरे समाज को नई राह दिखाने के लिए आज भी प्रासंगिक है। बापू के शब्दों में ‘ पत्नी पति की गुलाम नहीं बल्कि एक साथी और मददगार है जो उसके सुख-दुख में बराबर की भागीदार होने के साथ-साथ पति के समान ही अपने रास्ते स्वयं चुनने के लिए भी स्वतंत्र है। ’ हालांकि हमारे संविधान में भी महिलाओं को पुरुषों के समान ही अधिकार दिये हैं पर सच यह भी है कि इस दिशा में अभी लंबा सफर तय करना बाकी है । उनका मानना था की ‘ स्त्री जीवन के समस्त धार्मिक एवं पवित्र धरोहर की मुख्य संरक्षिका है। ’ जिसका सीधा सा अर्थ यह है कि औरत इंसानियत को गढ़ती है। उसके व्यक्तित्व में प्रेम, सर्मपण, आशा और विश्वास समाया हुआ है।

      OCT 9, 2010

      राही तू बस चलता चल

      राही तू बस चलता चल

      कलका देखना तू कल

      गांव, शहर और मफ्सल

      पीछे छोड़, आगे बढ़ चल

      कोई सोये या जागे

      सर पे धुन है बढ़ आगे

      राही पथ पे कितने छांव

      फिरभी न रुकते हैं पांव

      पर्वत या नदीया नाले

      पैरों में पढते छाले

      लेकर साथियों को बढ़

      सामने नज़रों को गढ़

      धरती उठेगी थर्रा

      बात तो बस शुरुआत करने की है

      09 OCTOBER 2010

      आप के मन में कोई योजना है। आप प्रारम्भ करना चाहते हैं। दुविधा है कि अभी प्रारम्भ करें या थोड़ा रुककर कुछ समय के बाद। संशय में हैं आपका मन क्योंकि दोनों के ही अपने हानि-लाभ हैं।
      अभी करने से समय की हानि नहीं होगी पर क्रियान्वयन के समय ऐसी समस्यायें आ सकती हैं जिन पर आपने पहले भलीभाँति विचार ही नहीं किया हो। ऐसा भी हो सकता है कि समस्यायें इतनी गहरी हों कि आपकी योजना धरी की धरी रह जाये।

      वहीं दूसरी ओर भलीभाँति विचार करने के लिये समय चाहिये। जितना अधिक आप विचार करेंगे, भावी बाधाओं को उतना समझने में आपको सहायता होगी। आप विस्तृत कार्ययोजना बनाने लगते हैं पर जब तक कार्य प्रारम्भ करने का समय आता है तो बहुत संभावना है कि कोई अन्य व्यक्ति उस विचार पर कार्य प्रारम्भ कर चुका हो या परिस्थितियाँ ही अनुकूल न रहें।

      Sunday, October 10, 2010

      माँ होती है सबसे प्यारी : रावेंद्रकुमार रवि की शिशुकविता

      माँ होती है सबसे प्यारी

      कभी न छोड़े साथ हमारा,

      इस दुनिया में सबसे न्यारी!

      हमको प्यार बहुत करती है,

      माँ होती है सबसे प्यारी!

      रावेंद्रकुमार रवि

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      Monday, October 11, 2010

      दो चौकियां

      अस्थि-पंजर ढ़ीले हैं उन चौकियों के। बीच बीच के लकड़ी के पट्टे गायब हैं। उन्हे छोटे लकड़ी के टुकड़ों से जहां तहां पैबन्दित कर दिया गया है। समय के थपेड़े और उम्र की झुर्रियां केवल मानव शरीर पर नहीं होतीं। गंगा किनारे पड़ी चौकी पर भी पड़ती हैं।

      FotoSketcher - Chauki1शायद रामचन्द्र जी के जमाने में भी रही हों ये चौकियां। तब शिवपूजन के बाद रामजी बैठे रहे होंगे। अब सवेरे पण्डाजी बैठते हैं। पण्डा यानी स्वराज कुमार पांड़े। जानबूझ कर वे नई चौकी नहीं लगते होंगे। लगायें तो रातोंरात गायब हो जाये।

      संझाबेला जब सूरज घरों के पीछे अस्त होने चल देते हैं, तब वृद्ध और अधेड़ मेहरारुयें बैठती हैं। उन चौकियों के आसपास फिरते हैं कुत्ते और बकरियां। रात में चिल्ला के नशेडी बैठते हैं। अंधेरे में उनकी सिगरेटों की लुक्की नजर आती है।

      बस, जब दोपहरी का तेज घाम पड़ता है, तभी इन चौकियों पर कोई बैठता नजर नहीं आता।

      दो साल से हम आस लगाये हैं कि भादों में जब गंगा बढ़ें तो इन तक पानी आ जाये और रातों रात ये बह जायें चुनार के किले तक। पर न तो संगम क्षेत्र के बड़े हनुमान जी तक गंगा आ रही हैं, न स्वराजकुमार पांड़े की चौकियों तक।

      रविवार की शाम को कैमरा ले कर जब गंगा किनारे घूमे तो एक विचार आया - घाट का सीन इतना बढ़िया होता है कि अनाड़ी फोटोग्राफर भी दमदार फोटो ले सकता है।

      ख़त तो लिख कर भेज दिया है, देखिये जवाब कब आता है भारत सरकार का ब्लोगर्स के पक्ष में...

      Posted by AlbelaKhatri.com Sunday, October 10, 2010

      प्रति,
      सम्मान्य सूचना एवं प्रसारण मन्त्री,
      भारत सरकार,
      नयी दिल्ली
      प्रसंग : हिन्दी चिट्ठों ( ब्लॉग ) के लिए विज्ञापनीय सहयोग तथा
      चिट्ठाकारों के लिए अन्य सुविधाएँ प्राप्त करने के क्रम में ।
      सन्दर्भ : अन्तरजाल पर हिन्दी चिट्ठाकारों ( ब्लोगर्स ) द्वारा सतत
      किया जा रहा राजभाषा हिन्दी का विश्वव्यापी प्रचार-प्रसार ।
      आदरणीय महोदय,
      जय हिन्द !
      उपरोक्त सन्दर्भ में सादर निवेदन है कि आज हिन्दी चिट्ठाकारी
      ( ब्लोगिंग ) अपने भरपूर यौवन पर है अर्थात तीव्रता से सक्रिय
      एवं अत्यन्त लोकप्रिय है । दुनिया भर में लगभग 25 हज़ार हिन्दी
      ब्लोगर्स लगातार इस पर काम कर रहे हैं तथा सामाजिक सरोकार
      के अलावा, भारतीय संस्कृति, मानवीय एकात्मता, वैश्विक
      उष्णता, पर्यावरण, खेल व स्वास्थ्य ही नहीं अपितु जीवन से जुड़े
      हर पहलू पर अपने आलेखों के माध्यम से भारत व हिन्दी की
      ध्वजा फहरा रहे हैं । इस विराट अभियान से हिन्दी बहुत
      लोकप्रिय हो रही है और हिन्दी समाचार व साहित्य भी लोकप्रिय
      हो रहा है ।

      दुर्गा पूजा ..वो रामलीला के दिन ..हल्के ठंड का मौसम ..लखनऊ, , पूना ,दानापुर , मधुबनी से दिल्ली तक ...झा जी ..औन नौस्टैलजिक राईड ..





      वैसे तो बरसात के मौसम की विदाई के साथ ....धूप की चटकीली चमक जैसे जैसे बढती जाती है .....उन तमाम लोगों के मन पर शायद मेरी तरह एक उदासी की पर्त जमने लगती है .....जो कहीं न कहीं ..अपने परिवार ....अपनी जडों से दूर कहीं जडें जमाने की जद्दोज़हद में लगे हुए हैं ....और वो चरम पर तब पहुंच जाती है जब हम जैसा कोई ..टेलिविजन पर दुर्गा पूजा की कवरेज देख देख ....उस पल को कोस रहा होता है ...जिसमें उसे ऐसे महानगरों में आने को अभिशप्त होना पडा था । खैर अब तो ये दस में नौ न सही तो आठ की नियति तो बन ही चुकी है ..।


      कैटरीना ने मारे इमरान को 16 थप्पड़!

      बॉलीवुड ऐक्ट्रेस कैटरीना कैफ अपने शांत स्वाभाव के लिए जानी जाती हैं मगर हाल ही में उन्होंने अपने को स्टार इमरान खान को एक नहीं बल्कि 16 थप्पड़ जड़ दिए|घबराइए नहीं उनके और इमरान के बीच कोई झगड़ा नहीं हुआ जो कैट ने ऐसा किया हो|दरअसल कैट ने इमरान को मेरे ब्रदर की दुल्हन की शूटिंग के दौरान एक सीन फिल्माने के दौरान इतने सारे थप्पड़ मारे|
      कैटरीना इमरान केसाथ यशराज की अगली फिल्म में काम कर रही हैं जिसके एक इमोशनल सीन में कैटरीना को इमरान को थप्पड़ मारने थे|इमरान चाहते थेकि यह सीन रियल लगे इसलिए उन्होंने कैटरीना को कहा कि वह उन्हें थप्पड़ मारने से बिलकुल न डरें|

      Sunday, October 10, 2010

      राहुल गांधी परिपक्व या अपरिपक्व !

      हिन्दुस्तान में धर्म व जातिगत राजनीति कोई नया मुद्दा नहीं है आम बात है ! विगतदिनों मध्यप्रदेश दौरे पर टीकमगढ़ में कांग्रेस पार्टी के युवा सेनापति राहुल गांधी कायह स्टेटमेंट कि सिमी और आरएसएस दोनों एक जैसी विचारधारा के कट्टरवादीसंघठन हैं, दोनों में वैचारिक तौर पर कट्टरता में कोई फर्क नहीं है, राहुल बाबा नेस्पष्ट तौर पर अपने समर्थकों के समक्ष यह कह दिया कि संघ व सिमी जैसीविचारधारा रखने वालों की कांग्रेस पार्टी में कोई जगह नहीं है हालांकि राहुल गांधी केभाषाई तेवर देखकर यह स्पष्ट झलक रहा था कि वे मध्यप्रदेश में दिग्विजयसिंह कीबोली बोल रहे हैं। संघ की सिमी से तुलना करना निसंदेह एक विवादास्पद वक्तव्यकहा जा सकता है क्योंकि सिमी एक प्रतिबंधित संघठन है, और जो संघठनप्रतिबंधित हो उससे किसी जनसामान्य से जुड़े किसी संघठन की तुलना करना अपनेआप में विवाद को जन्म देता है, खैर तुलनात्मक स्टेटमेंट, नासमझी, समझदारी,समर्थन, विरोध, परिपक्वता, अपरिपक्वता, ये अलग मुद्दे हैं इन मुद्दों परचर्चा-परिचर्चा के लिए राजनैतिक दल सक्रीय व क्रियाशील हैं । हालांकि यह मुद्दाइतना बड़ा नहीं है कि इस पर चर्चा की जाए, लेकिन इस मुद्दे अर्थात राहुल गांधी केसिमी व आरएसएस के संबंध में दिए गए कथन के अन्दर छिपे रहस्यात्मककूटनीतिक भाव पर चर्चा करना लाजिमी है, यहाँ पर रहस्यात्मक भाव से मेरातात्पर्य जातिगत व धर्मगत राजनीति से परे है ।

      कदहीन मगर आदमकद भीड़ ...


      अपना कोई चेहरा

      नही होता है भीड़ का,

      भीड़ में मगर

      अनगिन चेहरे होते हैं.

      भीड़ में

      जब लोग बोलते हैं,

      तब समवेत स्वर

      संवाद से परे हो जाता है.

      भीड़ गुनती नहीं है कुछ भी;

      भीड़ सुनती नहीं है कुछ भी,

      भीड़ में मगर

      अनगिन कान होते हैं.

      Monday, October 11, 2010

      फूलों के बीच पाखी

      अंडमान में घूमने-फिरने का खूब मजा है. पिछले दिनों मैं मम्मा-पापा के साथ डिगलीपुर गई. पापा ने बताया यह दक्षिण अंडमान का सबसे अंतिम क्षोर है. पापा को आफिस विजिट करने जाना था, सो वह चले गए. फिर मैं गेस्ट-हॉउस से बाहर निकली तो वहां ढेर सारे फूल दिखाई दिए. फिर तो मैंने मम्मा को आवाज़ दी और खूब फोटोग्राफी कराई.वाह, यह पीले-पीले फूल कित्ते अच्छे लग रहे हैं. वह भी ढेर सारे. इन पर तो तितलियाँ भी छिप जायेंगीं.और यह लाला वाला फूल तो ऐसा लग रहा है, जैसे मधुमखी ने अपना घर बनाया हो.

      आज न कोई चर्चा, न कोई लिंक – कुछ बातें, बस!

      SUNDAY, OCTOBER 10, 2010

      नमस्कार मित्रों!

      आज कोई चर्चा न करने का मन बन गया। बीते सप्ताह, और उसके कुछ पहले कुछ ऐसी बातें हुईं कि मन रुक कर कुछ बात करने का हो गया।

      कुछ मित्र चर्चा के अंदाज़ पर आपत्ति करते रहें हैं। कुछ इसमें लिए गए ब्लॉग्स के चयन पर शंका करते रहे हैं। कुछ को सिर्फ़ लिंक लेने से आपत्ति रही है। तो कुछ चर्चा में प्रयुक्त शब्दों के प्रति आपत्ति उठाते रहे हैं। कुछ को आपत्ति होती है कि उनके ब्लॉग को आपने उनसे पूछे बगैर क्यों शामिल किया, तो कुछ इस बात से ख़फ़ा हो जाते हैं कि उनकी पोस्ट को क्यों छोड़ दिया गया? कुछ कहते हैं कि आप मेल करके अपने लिंक का प्रचार मत करो, कुछ कहते हैं कि करो। कुछ मोडरेशन का सहारा लेते हैं, कुछ नहीं। कुछ कहते हैं कि आप कटोरे लेकर भीख मांगते क्यों हो, कुछ कहते हैं कि मांगो, मन करेगा तो दान देंगे, नहीं तो नहीं देंगे। कुछ कहते हैं कि मेरे ब्लॉग पर ऐसी नहीं वैसी टिप्पणी करो, कुछ कहते हैं कि जैसी मन करे वैसी करो।

      10.10.2010

      .................अपना घर

      जवान बेटी को बाप ने कहा

      जाना होगा अब तुम्हे अपने घर ,

      बी. ए की करनी वही पढाई

      ढूंढ़ लिया तेरे लायक वर ,

      अब तक तुम हमारी थी

      पर अब यहाँ से जाना होगा

      जुदा होकर हमसे

      नया घर बसाना होगा ,

      MONDAY, OCTOBER 11, 2010

      गोरी चमड़ी वालों की काली हरकतें!

      इसमें हैरानी की क्या बात है! गोरी चमड़ी वाले विदेशी हम काले भारतीयों के साथ हमेशा ऐसा ही सलूक तो करते रहे हैं! आजादी के पहले गुलाम भारत में भी और आजादी पश्चात स्वतंत्र भारत में भी। आजादी के छह दशक बाद भी कोई दावे के साथ यह नहीं कह सकता कि हम कालों के प्रति गोरों की मानसिकता में कोई उल्लेखनीय बदलाव आया है। यह तो हमारी सहनशीलता है और संभवत: विरासत में प्राप्त संस्कृति है जो हमें जैसे को तैसा सरीखा जवाब देने से रोक देती है। लेकिन आखिर कब तक? आस्ट्रेलिया में पुलिस ने एक वीडियो टेप जारी कर प्रचारित किया कि भारतीय छात्रों को सबक सिखाने का यह एक उम्दा तरीका है। भारत के किसी भाग में फिल्माई गई उस टेप में एक ट्रेन में बिजली के करेंट से कुछ लोगों के हताहत होने के दृश्यों को दिखाया गया है। क्या यह गोरों की विकृत सोच व दंभी मानसिकता का परिचायक नहीं?

      सोमवार, ११ अक्तूबर २०१०

      भ्रूण हत्या बनाम नौ कन्याओं को भोजन ??

      नवरात्र मातृ-शक्ति का प्रतीक है। एक तरफ इससे जुड़ी तमाम धार्मिक मान्यतायें हैं, वहीं अष्टमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराकर इसे व्यवहारिक रूप भी दिया जाता है। लोग नौ कन्याओं को ढूढ़ने के लिए गलियों की खाक छान मारते हैं, पर यह कोई नहीं सोचता कि अन्य दिनों में लड़कियों के प्रति समाज का क्या व्यवहार होता है। आश्चर्य होता है कि यह वही समाज है जहाँ भ्रूण-हत्या, दहेज हत्या, बलात्कार जैसे मामले रोज सुनने को मिलते है पर नवरात्र की बेला पर लोग नौ कन्याओं का पेट भरकर, उनके चरण स्पर्श कर अपनी इतिश्री कर लेना चाहते हैं। आखिर यह दोहरापन क्यों? इसे समाज की संवेदनहीनता माना जाय या कुछ और?

      11.10.10

      अब हँसने के लिए जोग हैं ....

      मुन्नी बदनाम ने एक बहुत उम्दा नस्ल का कुत्ता खरीदा . पहले दिन उस कुत्ते ने मुन्नी बदनाम के ड्राइंग रूम में बिछे कालीन पर पौटी कर दी . मुन्नी बदनाम ने उस कुत्ते को डाँटते हुए कहा - अगर तूने दुबारा पौटी की तो मैं तुझे खिड़की से बाहर फैंक दूंगी .वह कुत्ता रोज रोज कालीन पर पौटी करता रहा और मुन्नी बदनाम उठा उठाकर खिड़की से बाहर फैकती रही . यह देखते देखते आखिरकार उस कुत्ते के व्यवहार में तब्दीली आ गई और एक दिन उसने कालीन पर पहले पौटी की फिर खिड़की के रास्ते बाहर की और छलांग लगा दी .
      ००००००

      और अब मिलिए रमेश सुथार जी के ब्लॉग से नाम है “ हम सब चोर हैं “

      Monday, October 11, 2010

      देश की आदालतो में ४ करोड़ केस क्या है?
      कभी सरकार ने यह जानने को कोशिश की - अदालतों में केस की संख्या दिन-बी-दिन क्या बढ रही है? किन-किन कारणोंन से अदालतों में केसों की संख बढ रही है?जिसके कारण आज देश की अदालतों में ४ करोड़ केस विचाराधीन है? केसों की संख्या कम की जा सकती है।कई केस तो एक दुसरे से जुड़े होते है. अगर इस प्रकार के केसों को मिला कर नई सिरे से सुनवाई की जाय तो? ७५% कासोने की संख्या कम हो जाएगी.

      गंगा के बारे में लिखी गई कुछ बेहतरीन पोस्टों में से यकीनन ही एक ..

      MONDAY, OCTOBER 11, 2010

      गंगा , गंगा-स्नान और भारतीय संस्कृति

      गंगा पवित्रता का पर्यायसमझी जाती रही है। गंगाको पवित्र मानकर पूजाकरने अथवा उसमें स्नानकरने की प्रथा की कबशुरुआत हुई, इसकाठीक-ठीक विवरण देनाएक मुश्किल काम है।ऋग्वेद में गंगा की सिर्फएक बार चर्चा है। ऋग्वेदकी ‘गंगा’ सरस्वती है।फिर भी हम यह मान सकते हैं कि लगभग उत्तर वैदिक काल में गंगा महत्त्वपूर्ण हो चलीथी। पवित्रता की यह पूर्वपीठिका थी। निश्चित रूप से गंगा में स्नान करने की प्रथा कोएक धार्मिक अनुष्ठान के रूप में मान्यता इसके बाद ही प्राप्त हुई होगी।

      ग्रीटिंग आर्ट गैलरी से

      आर्ट गैलरी से

      आर्ट गैलरी

      प्रस्तुतकर्ता अल्पना

      अंतिम कविता : तुम खूबसूरत हो

      तुम

      http://www.loksatta.com/daily/20030315/ext01.jpg

      साभार : लोकसत्ता

      सच बेहद खूबसूरत हो
      नाहक भयभीत होते है
      तुमसे अभिसार करने
      तुम बेशक़ अनिद्य सुंदरी हो
      अव्यक्त मधुरता मदालस माधुरी हो
      बेजुबां बना देती हो तुम
      बेसुधी क्या है- बता देती हो तुम
      तुम्हारे अंक पाश में बंध देव सा पूजा जाऊंगा
      पलट के फ़िर
      कभी न आऊंगा बीहड़ों में इस दुनियां के
      ओ मेरी सपनीली तारिका
      शाश्वत पावन अभिसारिका
      तुम प्रतीक्षा करो मैं ज़ल्द ही मिलूंगा

      प्रस्तुतकर्ता गिरीश बिल्लोरे

      Sunday, October 10, 2010

      वेलडन दीपिका.

      आज मैं आपको एक परी की कहानी सुनता हूं. उस परी ने ख्वाब देखा आसमां में उड़ने का. उसके माता-पिता ने उसके पर को मजबूती देने के लिए हर नई कोशिश की. कोशिश, इसलिए कि उनके जैसे मामूली हैसियत की आदमी के लिए ख्वाब को सच्चाई में बदलना नामुमकिन सा था. लेकिन परी ने जुनून की हद तक मेहनत की और आज उसे झारखंड सहित पूरे देश को गर्व है. उस परी का नाम दीपिका है.

      अग्निपक्षी अमिताभ - कल भी और आज भी !

      अग्निपक्षी अमिताभ


      मादाम तुसाद के लंदन स्थित संग्रहालय में अमिताभ बच्चन का मोम का पुतला मौजूद है। इस पुतले को सुरक्षित रखने के लिए विशेष तापमान की जरूरत होती है। मोम के पुतले तो सुरक्षित रखे जा सकते हैं, लेकिन जिंदगी की तीखी और कड़ी धूप में हर तरह के पुतले पिघल जाते हैं।

      रामायण मेरी नजर से


      अभी कुछ दिन पहले एक कामिक्स पढ़ रहा था "वेताल/फैंटम" का.. उसमे उसने एक ट्रक के पहिये को जैक लगा कर उठा दिया, वहाँ खड़े बहुत सारे जंगली लोगों ने एक नयी कहावत कि शुरुवात कर दी "वेताल में सौ आदमियों जितना बल है, उसने अकेले कई हाथियों जितना भारी मशीनी दानव को उठा लिया".. यह किस्सा बताने का तात्पर्य सिर्फ इतना है कि किवदंतियां अथवा दंतकथाओं में अतिशयोक्तियाँ शायद ऐसे ही अज्ञान कि वजह से आती है..

      हज़ामत!

      खदेरन दाढी बनवाने नाई के पास पहुंचा। उसने बात करने की गरज़ से नाई से यों ही पूछ दिया, “तुमने कभी किसी गदहे की हज़ामत बनाई है?”

      नाई ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया, “नहीं साहब! आज पहली बार बना रहा हूं”

      सोमवार, ११ अक्तूबर २०१०

      दुर्नामी लहरें

      आजकल मन में भावनाऒं का सैलाव उठा है। जब बात झकझोड़ती है तो मन उद्वेलित हो जाता है। फिर भावनाओं का आवेग सारे बांध तोड़ उमड़ पड़ता है। जैसे सुनामी!

      प्राकृतिक आपदाओं में सुनामी अब बड़े पैमाने पर जान-माल की तबाही का पर्याय बनने लगी है। छह साल पहले 2004 में देश के पूर्वी तट पर आए सुनामी में लाखों लोगों की जिंदगी तबाह हो गई थी। लाखों लोगों ने अपना सब कुछ गंवा दिया था।

      १४ अक्तूबर को वर्ल्ड डिजास्टर रिडक्शन डे (World Disaster Reduction Day) मनाया जाता है। उस दिन तो हम देसिल बयना लेकर आएंगे। इसलिए आज ही उस पर विशेष प्रस्तुति करने का मन बन गया। सुनामी के कहर के बाद एक कविता लिखी थी। आज वही प्रस्तुत है।

      दुर्नामी लहरें

      IMG_0130मनोज कुमार

      हुई पुलिन1 पर मौन, 1. पुलिन :: जल के हट जाने से निकली जमीन

      उदधि की प्रबल तरंगे

      सिर धुनकर।

      हतप्रभ है जग,

      अब वसुधा की

      विकल वेदना सुन-सुनकर।

      Monday 11 October 2010

      अमरनाथ से बालटाल

      प्रस्तुतकर्ता नीरज जाट जी

      पिछली बार पढा होगा कि मैने अमरनाथ बाबा के दर्शन कर लिये। दर्शन करते-करते दस बज गये थे। अब वापस जाना था। हम पहलगाम के रास्ते यहां तक आये थे। दो दिन लगे थे। अब वापसी करेंगे बालटाल वाले रास्ते से। हमारी गाडी और ड्राइवर बालटाल में ही मिलेंगे।

      अमरनाथ से लगभग तीन किलोमीटर दूर संगम है। संगम से एक रास्ता पहलगाम चला जाता है और एक बालटाल। यहां अमरनाथ से आने वाली अमरगंगा और पंचतरणी से आने वाली नदियां भी मिलती हैं। यहां नहाना शुभ माना जाता है। लेकिन अब एक और रास्ता बना दिया गया है जो संगम को बाइपास कर देता है। यह रास्ता बहुत संकरा और खतरनाक है। इस बाइपास वाले रास्ते पर खच्चर नहीं चल सकते। घोडे-खच्चर संगम से ही जाते हैं। इस नये रास्ते के बनने से यात्रियों को यह लाभ होता है कि अब उन्हें नीचे संगम तक उतरकर फिर ऊपर नहीं चढना पडता। सीधे ऊपर ही ऊपर निकल जाते है। इस बाइपास रास्ते की भयावहता और संकरेपन का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस पर कई जगह एक समय में केवल एक ही आदमी निकल सकता है। नतीजा यह होता है कि दोनों तरफ लम्बा जाम लग जाता है। इसी जाम में फंसने और निकलने की जल्दबाजी की जुगत में मैं इस खण्ड का एक भी फोटू नहीं खींच पाया।

      Sunday, October 10, 2010

      इंगित


      चेतना
      हर रोज़
      प्रत्यक्ष ज्ञान के पासे
      खेलती है
      अवचेतन मन
      लाचार सा सबूत
      तलाशता है
      .......
      साबित करना तो
      मुमकिन नहीं...
      पर अलख साये
      अक्सर...
      दम घोंटते हैं......

      Posted by Beji

      SUNDAY, OCTOBER 10, 2010

      श्री सत्यनारायण की कथा....

      महीनों से पंडित जी सत्यनारायण की

      कथा करा रहे हैं,

      और हर बार साधू बनिया की कहानी सुना रहे हैं

      कथा नहीं सुनने पर कितनी दुर्गति हो सकती है

      इसके लिए दृष्टान्त कलावती, लीलावती का बता रहे हैं

      मेरी विपदाएं आज भी वहीँ अचल खड़ी हैं

      क्यूंकि पंडित जी ने वो कथा आज भी नहीं कही है

      बस लगातार साधू बनिया की कहानी बांचे जा रहे हैं

      कहा हमने

      १० अक्तूबर २०१०

      आज की सरस्‍वती बिना लक्ष्‍मी के क्‍यूं नहीं रह पाती ??

      प्राचीन कहावत है कि लक्ष्‍मी और सरस्‍वती एक स्‍थान पर नहीं रह सकती, यानि कि एक ही व्‍यक्ति का ध्‍यान कला और ज्ञान के साथ साथ भौतिक तत्‍वों की ओर नहीं जा सकता , इसलिए प्राचीन काल में पैसे से किसी का स्‍तर नहीं देखा जाता था, बल्कि भौतिक सुखों का नकारकर किसी प्रकार की साधना करने वालों को , ज्ञान प्राप्‍त करने वालों को धनवानों से ऊंचा स्‍थान प्राप्‍त होता था। यहां तक कि उस वक्‍त राजा भी ऋषि महर्षियों के पांव पखारा करते थे और अपने पुत्रों को ज्ञान प्राप्ति के लिए उनके पास भेजा करते थे। उच्‍च पद में रहनेवाले लोगों की संताने हर प्रकार के ज्ञान के साथ साथ नैतिक और आध्‍यात्मिक ज्ञान भी अर्जित करते थे। पर क्रमश: भौतिकवादी युग के विकास के साथ ही संपन्‍न लोग कला और साधना में रत लोगों का शोषण करने लगे ।

      रविवार, १० अक्तूबर २०१०

      साठ की उम्र में माँ बनना और सास - बहू संवाद......

      साठ की उम्र में माँ बनना और सास - बहू संवाद......

      किया है तूने मुझे ज़िंदगी भर तंग

      जी भर के अब बदले चुकाउंगी |

      दादी और नानी तो मैं पहले ही से थी

      माँ बन के तुझको फिर से दिखाउंगी |

      डाल के तेरी गोद में ननद और देवर

      क्लब और पार्टियों में मौज उड़ाउंगी |

      कहा था मैंने एक दिन जब बहू !

      हो गया है मुझको तो गठिया

      तूने कहा था पागल तो पहले ही से थी

      अब गई हो पूरी की पूरी सठिया

      देख लेना जी भर के अब

      शुगर और बी. पी. तेरा. कैसे मैं बढ़ाउंगी |

      रविवार, १० अक्तूबर २०१०

      सीख

      जला जला कर खुद को,खाक करते हैं क्यों

      ज़िन्दगी अनमोल खज़ाना,जीना तो सीख लें।

      देख कर औरों की खुशियाँ,कुढ़ते हैं क्यों

      गैरों की खुशी में भी, हँसना तो सीख ले॥

      SUNDAY, OCTOBER 10, 2010

      अमिताभ बच्‍चन : हो जाए डबल आपकी खुशी -सौम्‍या अपराजिता /अजय ब्रह्मात्‍मज

      कल 11 अक्टूबर को अमिताभ बच्चन का 68वां जन्मदिन है और कल ही शुरू हो रहा है 'कौन बनेगा करोड़पति' का चौथा संस्करण। इस अवसर पर उनसे एक विशेष साक्षात्कार के अंश..

      [कल आपका जन्मदिन है। प्रशंसकों को क्या रिटर्न गिफ्ट दे रहे हैं?]

      उम्मीद करता हूं कि मेरा जन्मदिन मेरे चाहने वालों के लिए खुशियों की डबल डुबकी हो। जन्मदिन तो आते रहते हैं, पर इस बार कौन बनेगा करोड़पति मेरे जन्मदिन पर शुरू हो रहा है, यह मेरे लिए बड़े सौभाग्य की बात है।

      Sunday 10 October 2010

      खुद ही चुनें अपने लिए बाथ......................................

      आज जीवन के समीकरण इतने बदल गए हैं कि वे कहां जाकर रुकेंगे कुछ पता नहीं । भागमभाग वाली जिंदगी में अपने घर पर ज्यादा समय नहीं दे पाते लेकिन जो भी समय देते हैं उसे बड़े ही कूल वातावरण में बिताने का प्रयास रहता है । अब चूंकि कूल वातावरण चाहिए तो घर की साजोसज्जा भी कूल बनानी पड़ेगी सो आज हर कोई अपने घर को उसी हिसाब से डिजायन करने लगा है । लिविंग एरिया ऎसा होना चाहिए तो बेडरूम वैसा ,माड्यूलर किचिन के तो कहने ही क्या । अब बारी है बाथरूम की सो यह भी हर मायने में कूल ही होना चाहिए। यहां बाथरूम के कुछ डिजायन दिए जा रहे हैं जिसमें से अपने लिए बाथरूम आप खुद ही चुन लें..........

      OCTOBER 11, 2010

      उफ़ ये घर तोडू औरते |

      एक बात समझ में नहीं आती है की कुछ महिलाओ को दूसरे के जीवन में टाँग अड़ाने या दूसरों के घरों में ताका झाकी करने की आदत क्यों होती है | मैं तो बड़ी परेशान हुं एक ऐसी ही महिला से कुछ लोग उनको नारीवादी कहते है तो कुछ लोग उनको वो क्या कहते है हा याद आया घर तोडूऔरत | कहते है उनको दूसरों के घर तोड़ने की आदत है | तलवार जी की बहु का एक साल में दूसरी बार मिस कैरेज हो गया बेचारी को पहले से ही दो लड़कियाँ है | हमारी नारीवादी वहा चली गई कहने लगी क्या बात है मिसेज तलवार आपकी बहु के साथ दूसरी बार ये घटना हो गई किसी अच्छे डाक्टर को दिखाइये मिसेज तलवार ने कहा की नहीं भाई ऐसी कोई बात नहीं है हम तो खुद काफी अच्छे डाक्टर को दिखाते है | बेचारी बहु का उतरा सा मुँह देख कर उसे कह दिया की जब अगली बार फिर से प्रेग्नेंट होना तो अपने मायके चली लाना यदि बच्चा सुरक्षित चाहती हो | लो जी उनकी बहु ने तो सच में यही कर दिया अब तलवार परिवार का तो गुस्सा होना लाज़मी था |

      चलिए अब आज के लिए इतना ही ……

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